Friday, September 19, 2008

जज़्बात





यादो को बना के पतवार हम
आज के समंदर को खेते है
गोकि आए कोई भी तूफ़ान
हम साहिल को पा ही लेते है।


एक वक्त गुजार आए है
बीते वक्त के समंदर में
की हेर एक लम्हा
मोती बन सीप में बैठा है


तुम्हारी याद जब आँख में ,
आंसू बन आती है ,
छलकने से पहले ,
पलक समेट ले जाती है,
संभाल कर हेर एक आंसू ,
दिल में रक्खा है
जो आज भी तेरे नाम की
धड़कन बन जाती है ।


आग में तप के अगर हासिल होता नूर
तो पेढ़ की हेर शाख यूँ फ़ना न होती
वोह जिंदा है तो इसलिए हुज़ूर
की ज़मीन ने मुहब्बत लुटाने में
कोई कसर न छोड़ी ।


अश्क न छलक जाए कहीं
आँखों के पैमाने से ,
की उनके दिल से
दर्द का दरिया बहता है ।

3 comments:

अभिन्न said...

बहुत ही सुंदर ब्लॉग है आपका ,सभी रचनाएँ दिल की गहराई से लिखी हुई है.प्रस्तुत पंक्तियाँ बहुत प्रभावकारी हैं
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तुम्हारी याद
जब आँख
में
आंसू बन आती है ,
छलकने से पहले ,
पलक समेट ले जाती है,
संभाल कर हेर एक आंसू ,
दिल में रक्खा है
जो आज भी तेरे नाम की
धड़कन बन जाती है ।
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आप हमारे ब्लॉग पर आए और हमे पढ़ा ,सराहा ,बहुत बहुत धन्यवाद ..लिखते रहिये

shelley said...

तुम्हारी याद जब आँख में ,
आंसू बन आती है ,
छलकने से पहले ,
पलक समेट ले जाती है,
achchhi baat hai.

DUSHYANT said...

sundar hai..aur achchha kahna naakafee h