Friday, September 19, 2008

जज़्बात





यादो को बना के पतवार हम
आज के समंदर को खेते है
गोकि आए कोई भी तूफ़ान
हम साहिल को पा ही लेते है।


एक वक्त गुजार आए है
बीते वक्त के समंदर में
की हेर एक लम्हा
मोती बन सीप में बैठा है


तुम्हारी याद जब आँख में ,
आंसू बन आती है ,
छलकने से पहले ,
पलक समेट ले जाती है,
संभाल कर हेर एक आंसू ,
दिल में रक्खा है
जो आज भी तेरे नाम की
धड़कन बन जाती है ।


आग में तप के अगर हासिल होता नूर
तो पेढ़ की हेर शाख यूँ फ़ना न होती
वोह जिंदा है तो इसलिए हुज़ूर
की ज़मीन ने मुहब्बत लुटाने में
कोई कसर न छोड़ी ।


अश्क न छलक जाए कहीं
आँखों के पैमाने से ,
की उनके दिल से
दर्द का दरिया बहता है ।

Saturday, September 13, 2008

तकदीर या ...........लापरवाही

..........पहले बेंगलुरु , फिर सूरत , बिहार में बाढ़ का प्रकोप और अब ......दिल्ली में बोम्ब ब्लास्ट ........

क्या माने इसे इंसानी लापरवाही या इस देश की किस्मत ? ??

लापरवही ही कह सकते है ....टी.वी न्यूज़ हर बार येही कहती है की आई .बी ने पहले ही आगाह किया था तो हमारे देश की पुलिस के पास सिर्फ़ नाकारापन रह गया है , हादसा होने के बाद जागते है जबकि दावा पहले से ही पता होने का होता है ,,, नेता अपनी रोटियां सकने में मशगूल है , ........

कानून कड़े बनायेंगे ..... आज तक बनाये क्या ? जो बने भी उनको तोड़ने के नेता तैयार .....

अरे वोट की गन्दी राजनीती कैसे कर पाएंगे ????? अपनों को खोने का दर्द क्या होता है यह वह नही समझते ....
निंदा की जायेगी .... जिम्मेदारी (आतंकवादी sangathan द्वारा ) lee जायेगी ... थोडी लाग़ लपेट की जायेगी ....
फिर वही ढर्रे पे आ जायेंगे .......
वाह री देश की किस्मत , देश के लोगो की किस्मत ........
और हम सबकी बेपनाह लापरवाही .....
लूप होल्स सबको पता है .........और फायेदा भी उठाया जा रहा है ...
सिलसिला येही रहा तो ............... सब कुछ बे रोकटोक चलता रहेगा ।
हम देश की तकदीर को दोष देते रहेंगे , लोगो को कोसते रहेंगे सरकारी तंत्र फैलुरे का राग आलापते रहेंगे .................
सब कुछ इश्वर के भरोसे छोड़ के फिर सो जायेंगे
......"की इश्वर को लिखो एक ख़त
सलामत रहे हम ........
पर इश्वर तेरा पता ही ना मालूम हमे ............."
we just can hope that this would never happen in future......BUT......

Sunday, September 7, 2008

शाम.....


शाम का धुन्धुलापण छाने लगा था ,
कहीं कुछ बीता ,छूटा याद आने लगा था ,
पलट गए वोह पन्ने जो ज़िन्दगी के ,
जो अब तक कहीं सोने लगा था ,
सामने सब किरदार आ खड़े हुए ,
जो किस्सा अब खत्म होने लगा था ,
फिर से किस्सा अपना हुआ जो ,
अपना होके भी बेगाना बना था ,
मिला वो रास्ता प्यार का ,
जो अपनी पगडण्डी को खाने लगा था ,
दरख्तों ने साए कर दिए हमपर ,
जो पत्तों के बिना जीने लगा था...........

Wednesday, September 3, 2008

भारत का बिहार

यह कोई पहली बार तो हुआ नही की बिहार की कोसी नदी में बाढ़ आई हो , पैर पहली बार नदी ने अपना मार्ग छोड़ा है और वो भी करीबन १३ १४ किलोमीटर जिसकी वजह से लाखो लोग बेघर हो गए लोग भोजन और दवाइयों को तरस रहे है । सरकार मदद को आगे आती है पर जब हालातबकाबू हो जाते है , दबंग लोगो ने लूट मचा रक्खी है , रहने की कोई ख़ास इन्तेज़मत नही है ................यहाँ वैसे भी इन्सान को इश्वर के सहारे जीने में जयादा भरोसा है ............कोशिश सभी कर रहे है और लोगो की हिम्मत और जिन्दादिली भी देखने को मिली ....
फिर भी जो हुआ वो काफी हद तक टला जा सकता था अरग हम जागते तो .....

बिहार तेरे हाल बेहाल है
वासियों का बुरा हल है ,

वहां तरस रहे है मुह निवालों को
यहाँ पकवान से भी इंकार है,

कोसी, जिसे मैया मान पूजते है
उसने धारा रूप क्यों विकराल है

पल पल चेतावनी देती रही वो
हम मुह फेर सोते रहे , वाह! क्या कमाल है ,

अब जब पानी सर से uper है
tab neta विमान may सवार है ,

bebas bacche ,budhe marne ko तैयार hai
chahun ore paani aur beemari ka maayajaal hai,

paksh vipaksh ke neta dila rahe bharosa,
aree bahi, aankdon ka khel aur satta ka sawaal hai .