Monday, February 28, 2011






आजबहुत दिनों की बाद उसकी आँखों में आंसू देखे............आवाज़ में भी वो बात नहीं थी ...............ज़िन्दगी के दुसरे चरण में कदम बढ़ा तो लिए थे लेकिन फिर भी कुछ तो था जो खाए जा रहा था .......एसा लगता था जैसे उसे सब पता है की आने वाले दिनों में क्या होने वाला है .............समझाने की कोई भी कोशिश बेकार ही जाती थी ,नदी के बहाव में उलटे बहते थक सा गया था शायद और अपने अप को नदी की हवाले कर दिया उसने ,जो उसकी फितरत नहीं है बावजूद इसके अगर वो एसा कर रहा है तो कुछ तो है जो उसे समझौता करने को मजबूर कर रहे है ।



ज़िन्दगी को मज़ाक बना की जीने वाले कम होते है ये भी उन्ही में से था । किसी ने कभी उसे जानने या समझने की कोशिश नहीं की उसे उसके हाल पे छोड़ दिया था उसकी फीकी और खोखली हंसी को भी सच्ची हंसी समझने की भूल कर बैठे थे सब । इन्ही सब साजो सामान की साथ वो कब अपनी ज़िन्दगी जीने लगा उस उसे भी नहीं मालूम परबहुत दर्द था सीने में जो कभी कभी सामने आ भी जाता था पर फिर घबरा की वो उसी नकाब को पहन लेता ।



उसने कभी बताया नहीं और न ही हमने पूछा , येही सोच के की वक़्त आने पे खुद बताएगा और उसने कहा भी कई बार की जब वक़्त आयेगा तो वो ज़रूर बताएगा ............



कई बार जब हम रोने की लिए कन्धा ढूंढते है तो वो नहीं मिलता तो दुनिया में अपने वजूद के होने पर भी शक होता है और वक़्त लग जाता है हमे बहार आने में पर उसने तो जैसे तै कर लिया था की किसी की सहारे की ज़रुरत नहीं है पर उसे ज़रुरत थी और आज भी है ।



हर रोज़ एक लड़ाई लड़ता है वो भी हस्ते हसते और हमे भी हँसा ही देता है । पर ये परेशानी तो वो ग्लास के ख़तम होने पर भी कतम नहीं कर पाया ....पिंजरे में पंख मारते कैद से बाहर निकलने को बेचैन था ....पुराने फ़िल्मी गानों में शायद अपनी उलझनों की दवा ढूढ़ रहा था.....पिंजरे से वो बाहर तो निकल गया है थोडा उड़ने की कोशिश भी कर लेगा पर कतरे हुए पंखो ने कब ख़ुशी से उड़ान भरी है शाम होते ही फिर उसी पिंजरे में लौट आयेगा सुबह होने के इंतज़ार में ............