Thursday, September 10, 2009

मेरे मरने पे मत रोना ........................

ज़िन्दगी इस मोड़ पे देके दगा यूँ चली जायेगी
सोचा न था बेकार में मेरी वफ़ा चली जायेगी

नाराज़ हो गवाए वो हमराज़ न हो पाए
हम राज़ लिए जिनके दुनिया से जा रहे है

भरोसा न टुटा जबकि दम टूटने को है
नजारे में मौत लेकिन नज़रें बिछा रहे है

एक आरजू एक चाहत एक तम्मना है आखिरी
मेरे मरने पे मत रोना हम मुस्कुराये जा रहे है

मंजिल तू है मेरी मंजिल तू ही रहेगी
रस्ते तो लाख गुज़रे और लाखो आ रहे है

मरने की बाद मुझको करार कहाँ मिलेगा
करार मेरे तुम हो हम तुमसे दूर जा रहे है ।

No comments: