Thursday, February 25, 2010

देख लेने देना


जब चाहे तुम्हे देखना , तुम देख लेने देना
हमारी इन सूनी आँखों को अब बह लेने देना

तुझे छु की आती हवाओ कों हमारे तक आ जाने देना
तू न सही तेरे होने का एहसास हो लेने देना

पा न सके तुम्हे तो क्या ख्वाबो में रहगुज़र करने देना
निशान जहाँ पड़े तेरे कदमो की हमे पनाह कर लेने देना

ख्वाहिश थी तेरे आगोश में आने की , हसरत पूरी कर लेने देना
इस फ़ना होते शरीर को नहीं रूहों को मिल लेने देना

नहीं होता यकीन इस दुनिया की हकीकतो पे
झूठ पे यकीन हो लेने देना
ज़मीन पे न मिल सके तो क्या , वहा जन्नतों में मिल लेने देना............