Thursday, April 2, 2009

प्यार की ज़रूरत

हर खवाहिश पुरी हो ये ज़रूरी तो नही
हर अरमान् सच हो ये ज़रूरी तो नही .....
हर बात में हम राज़ी हो ये ज़रूरी तो नही....
जानते थे प्यार था पर कहना ज़रूरीतो नही .....
अहसास था हर आती जाती साँस का
प्यार जाताना ज़रूरी तो नही .......
आँख से गिरा हर आंसू सहेज लिया था
पर दिखाना ज़रूरी तो नही .....
प्यार तो दिल में होता है
इसको छलकाना ज़रूरी तो नही .......
साथ सदा ही है ये दिल
रास्तो को नापना ज़रूरी तो नही ......

4 comments:

Urmi said...

पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !

अभिन्न said...

.मनीषा जी
आपकी पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा जब मै 9 th क्लास में पढता था तो मैंने एक गजल लिखी थी ,घर पहुँच कर आपको पोस्ट करूँगा कितना मिलती जुलती है आपकी रचना से आप खुद ही देख लेना .
कुछ पंक्तियाँ तो याद है
हम चाहते हैं उनको दिलो जाँ से वो भी हमे चाहे ये जरुरी है क्या,
..........सचमुच आपकी रचना तो उत्तम दर्जे की है ....इन्हें पढ़ कर बहुत संतोष मिलता है और सोच में पैनापन भी आता है
बहुत अच्छे लगे

प्यार तो दिल में होता है
इसको छलकाना ज़रूरी तो नही .......
साथ सदा ही है ये दिल
रास्तो को नापना ज़रूरी तो नही ......

sumati said...

comment post karna jaruri to nahin han mazburi hai...ab yahan bhule bhatk aaye hain to comment likh dete hain per thoda aur kashish lao ye bahut jaruri hain gazal ,kavita nazam likhne k liyekahan ho tum

kumar said...

arz kiya hai,

koi samajh na paya woh baat hu main,
dhal ke nayi subah laye woh raat hu main,
chale jate hai log es duniya se rishtey banakar,
chod ke na jaye khabhi,
woh ehsas hu main