Friday, August 29, 2008

उम्मीद

.........उम्मीद का दामन इन्सान से छूटता नही है न !
ठीक ही तो है अगर उम्मीद ही नही तो जीवन ही क्या है । पर कभी कभी उम्मीद आपको दुःख भी दे जाती है । शायद इसमे भी कोई सीख हो , लेकिन यह तो तयहोना चाहिए की ........कहाँ तक हम उसका दमन थाम के चले । हम अपनी ज़िन्दगी से कुछ ज़यादा ही उम्मीद लगा बैठे थे .....शायद कुछ ज़्यादा मांग लिया जो उसने हमें झटक दिया । रिश्ते हो , नौकरी हो , या कुछ और उम्मीद ..... कमबख्त ... साथ ही होती है ...
कहते तो हम सभी है की अब कोई उम्मीद नही पर फिर भी होती तो है ....
चलो फिर उठ खड़े होते है , कुछ और सपने बुनते है .........फिर से टूट जाने के लिए
चलो फिर मजमा लगातेहै ..........अपना ही जनाज़ा उठाने के लिए,

वहां कोई सपना न टूटे कभी , इसी ख्वाहिश से चल पड़े है उमीदो को लिए ।
इस सब के बाद भी यह बात दिल में पुख्ता है की................
................" कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता
कभी ज़मीन तो कभी आसमान नही मिलता "
खुदा आपके सपनो और उमीदो को बुलंदी दे ......,

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