क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था
पिघलता हुआ आसमान था
हवा का भी मंद बहाव था
क्यों आज सब कुछ ...........
शायद आसमान उदास था ...
पाके कुछ खोने का अहसास था
बना के चेहरे रंग बिखेर दिए
रंगों का फीकापन आज कुछ ख़ास था
क्यों आज सब कुछ .......
शायद हवा ने छेडा उदासी भरा राग था
ले चली थी संग जिसे वो बिना सुर का साज़ था
भूल गई थी पहनना पैजेब आज
विरह का गीत उसके आस पास था
क्यों आज सब कुछ.........
शायद रात की खामोशी में कुछ होने को था
चाँद भी आज बादलों की ओ़त में था
पत्तों ने शाख से , चांदनी ने चाँद से पूछा अपना रिश्ता
आसमान अब जी भर के रोने को था
क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था ?????
पिघलता हुआ आसमान था
हवा का भी मंद बहाव था
क्यों आज सब कुछ ...........
शायद आसमान उदास था ...
पाके कुछ खोने का अहसास था
बना के चेहरे रंग बिखेर दिए
रंगों का फीकापन आज कुछ ख़ास था
क्यों आज सब कुछ .......
शायद हवा ने छेडा उदासी भरा राग था
ले चली थी संग जिसे वो बिना सुर का साज़ था
भूल गई थी पहनना पैजेब आज
विरह का गीत उसके आस पास था
क्यों आज सब कुछ.........
शायद रात की खामोशी में कुछ होने को था
चाँद भी आज बादलों की ओ़त में था
पत्तों ने शाख से , चांदनी ने चाँद से पूछा अपना रिश्ता
आसमान अब जी भर के रोने को था
क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था ?????