wish you all a very happy new year 2010
Thursday, December 31, 2009
Saturday, December 26, 2009
कशमकश कैसी?????????????
गुज़र रही थी ज़िन्दगी .बस गुज़र रही थी
टेढ़े मेढ़े रास्तो पे चल रही थी ज़िन्दगी ...............
रास्ता भी अपना था राहगीर भी ...
फिर भी न जाने क्यों बिखर रही थी ज़िन्दगी ???????????
सोच के जब कदम बढाया हमने
हर उस पल न जाने क्यों हमे छल रही थी ज़िन्दगी .................
आह भी न निकल सकी ...
क्यों इतनी तंग थी ये ज़िन्दगी ?????????
चाहतो के मौसम की राह हम तकते रहे
साजिशे हमारे लिए बुन रही थी ज़िन्दगी............
वक़्त की ताकत को पहचानते है
फिर भी हमसे अजनबी थी ज़िन्दगी...........
आरजू बस तुमे देख लेने की है
खाक न हो जाये हम ........येदेख लेना ज़िन्दगी .......................
टेढ़े मेढ़े रास्तो पे चल रही थी ज़िन्दगी ...............
रास्ता भी अपना था राहगीर भी ...
फिर भी न जाने क्यों बिखर रही थी ज़िन्दगी ???????????
सोच के जब कदम बढाया हमने
हर उस पल न जाने क्यों हमे छल रही थी ज़िन्दगी .................
आह भी न निकल सकी ...
क्यों इतनी तंग थी ये ज़िन्दगी ?????????
चाहतो के मौसम की राह हम तकते रहे
साजिशे हमारे लिए बुन रही थी ज़िन्दगी............
वक़्त की ताकत को पहचानते है
फिर भी हमसे अजनबी थी ज़िन्दगी...........
आरजू बस तुमे देख लेने की है
खाक न हो जाये हम ........येदेख लेना ज़िन्दगी .......................
Saturday, September 26, 2009
बात तो करता ................
क्या होता जो मुझसे न कहता ,
इतने बरसों बाद मुझे याद न करता ,
कई मौसम आके चले गए ,
फिर से वही मौसम दस्तक न देता ,
कह गया वो जो कहना था उसे ,
अज भी न देखा जो सैलाब था उमड़ता ,
खिचे चले गये जज़्बात किसी ज्वार की तरह ,
शायद आज भी वो हमें काबिल नही समझता ,
खता क्या थी आज भी नहीं मालुम ,
बस आजकल वो कोई रिश्ता नहीं रखता,
अब नहीं रही उससे कोई शिकायत ,
रिश्ता ना सही पर बात तो करता,
इतने बरसों बाद मुझे याद न करता ,
कई मौसम आके चले गए ,
फिर से वही मौसम दस्तक न देता ,
कह गया वो जो कहना था उसे ,
अज भी न देखा जो सैलाब था उमड़ता ,
खिचे चले गये जज़्बात किसी ज्वार की तरह ,
शायद आज भी वो हमें काबिल नही समझता ,
खता क्या थी आज भी नहीं मालुम ,
बस आजकल वो कोई रिश्ता नहीं रखता,
अब नहीं रही उससे कोई शिकायत ,
रिश्ता ना सही पर बात तो करता,
Thursday, September 10, 2009
मेरे मरने पे मत रोना ........................
ज़िन्दगी इस मोड़ पे देके दगा यूँ चली जायेगी
सोचा न था बेकार में मेरी वफ़ा चली जायेगी
नाराज़ हो गवाए वो हमराज़ न हो पाए
हम राज़ लिए जिनके दुनिया से जा रहे है
भरोसा न टुटा जबकि दम टूटने को है
नजारे में मौत लेकिन नज़रें बिछा रहे है
एक आरजू एक चाहत एक तम्मना है आखिरी
मेरे मरने पे मत रोना हम मुस्कुराये जा रहे है
मंजिल तू है मेरी मंजिल तू ही रहेगी
रस्ते तो लाख गुज़रे और लाखो आ रहे है
मरने की बाद मुझको करार कहाँ मिलेगा
करार मेरे तुम हो हम तुमसे दूर जा रहे है ।
सोचा न था बेकार में मेरी वफ़ा चली जायेगी
नाराज़ हो गवाए वो हमराज़ न हो पाए
हम राज़ लिए जिनके दुनिया से जा रहे है
भरोसा न टुटा जबकि दम टूटने को है
नजारे में मौत लेकिन नज़रें बिछा रहे है
एक आरजू एक चाहत एक तम्मना है आखिरी
मेरे मरने पे मत रोना हम मुस्कुराये जा रहे है
मंजिल तू है मेरी मंजिल तू ही रहेगी
रस्ते तो लाख गुज़रे और लाखो आ रहे है
मरने की बाद मुझको करार कहाँ मिलेगा
करार मेरे तुम हो हम तुमसे दूर जा रहे है ।
Saturday, August 15, 2009
क्यों आज सब शांत था
क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था
पिघलता हुआ आसमान था
हवा का भी मंद बहाव था
क्यों आज सब कुछ ...........
शायद आसमान उदास था ...
पाके कुछ खोने का अहसास था
बना के चेहरे रंग बिखेर दिए
रंगों का फीकापन आज कुछ ख़ास था
क्यों आज सब कुछ .......
शायद हवा ने छेडा उदासी भरा राग था
ले चली थी संग जिसे वो बिना सुर का साज़ था
भूल गई थी पहनना पैजेब आज
विरह का गीत उसके आस पास था
क्यों आज सब कुछ.........
शायद रात की खामोशी में कुछ होने को था
चाँद भी आज बादलों की ओ़त में था
पत्तों ने शाख से , चांदनी ने चाँद से पूछा अपना रिश्ता
आसमान अब जी भर के रोने को था
क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था ?????
पिघलता हुआ आसमान था
हवा का भी मंद बहाव था
क्यों आज सब कुछ ...........
शायद आसमान उदास था ...
पाके कुछ खोने का अहसास था
बना के चेहरे रंग बिखेर दिए
रंगों का फीकापन आज कुछ ख़ास था
क्यों आज सब कुछ .......
शायद हवा ने छेडा उदासी भरा राग था
ले चली थी संग जिसे वो बिना सुर का साज़ था
भूल गई थी पहनना पैजेब आज
विरह का गीत उसके आस पास था
क्यों आज सब कुछ.........
शायद रात की खामोशी में कुछ होने को था
चाँद भी आज बादलों की ओ़त में था
पत्तों ने शाख से , चांदनी ने चाँद से पूछा अपना रिश्ता
आसमान अब जी भर के रोने को था
क्यों आज सब कुछ बहुत शांत था ?????
Monday, August 10, 2009
हम वफ़ा कर गए
आ कर उनकी बातों में
हम कुछ एसा कर गए ,
जो राह न थी अपनी
उस राह से गुज़र गए,
ज़ज्बातों की कीमत
अब क्या लगा पाओगे ,
ज़ज्बात मेरे सरे बाज़ार
कौडियों में बिक गए ,
बहुत संभाला था वो दरिया
न मालूम क्या तूफ़ान था
की हम उसी में बह गए ,
टूट के बिखर गया आशियाँ
खता बस इतनी थी की
हम वफ़ा कर गए .............
महफूज़ था वो फूल
चंद पन्नो के बीच सूख के ........
बिखर गया वो तिनकों में
क्योंकर हम उसे
गर्म हवाओं के हवाले कर गए .........................................
हम कुछ एसा कर गए ,
जो राह न थी अपनी
उस राह से गुज़र गए,
ज़ज्बातों की कीमत
अब क्या लगा पाओगे ,
ज़ज्बात मेरे सरे बाज़ार
कौडियों में बिक गए ,
बहुत संभाला था वो दरिया
न मालूम क्या तूफ़ान था
की हम उसी में बह गए ,
टूट के बिखर गया आशियाँ
खता बस इतनी थी की
हम वफ़ा कर गए .............
महफूज़ था वो फूल
चंद पन्नो के बीच सूख के ........
बिखर गया वो तिनकों में
क्योंकर हम उसे
गर्म हवाओं के हवाले कर गए .........................................
Thursday, July 16, 2009
Wednesday, July 15, 2009
Tuesday, July 7, 2009
अश्क
अश्क हु मै , न रोको बह जाने दो
बड़ी मुश्किल से निकला हु सफर हो जाने दो ,
दिनों तक था बेसब्र , अब तो चैन आने दो
छाया है धुंधलापन अब साफ़ हो जाने दो ,
तेरा दिल एक सरायें था आँखों के सफर के लिए
वक्त पुरा हो चुका ,एक नया मेहमान आने दे ,
कनखियों न देख अब , आँखों को खुल जाने दे
बहुत रह चुकी अंधरे में , अब रौशनी की आदत होने दे
खोल दे अकडी बाहों को , हवा में खुल जाने दे
हर एक खुशबू तेरी अपनी , इन्हे सांसों में घुल जाने दे,
रुखसत क्र इस तरह से मुझको , फिर लौट के न पाऊ
कभी याद मुझे ए तेरी , तेरी देहरी से तुझे देख निकल जाऊँ .
बड़ी मुश्किल से निकला हु सफर हो जाने दो ,
दिनों तक था बेसब्र , अब तो चैन आने दो
छाया है धुंधलापन अब साफ़ हो जाने दो ,
तेरा दिल एक सरायें था आँखों के सफर के लिए
वक्त पुरा हो चुका ,एक नया मेहमान आने दे ,
कनखियों न देख अब , आँखों को खुल जाने दे
बहुत रह चुकी अंधरे में , अब रौशनी की आदत होने दे
खोल दे अकडी बाहों को , हवा में खुल जाने दे
हर एक खुशबू तेरी अपनी , इन्हे सांसों में घुल जाने दे,
रुखसत क्र इस तरह से मुझको , फिर लौट के न पाऊ
कभी याद मुझे ए तेरी , तेरी देहरी से तुझे देख निकल जाऊँ .
Friday, May 8, 2009
सब शांत हो गया है .....
शाम ढलते ही फ्हिर सब शांत हो गया ,
न निकले कोई दिन ये ख्याल सा हो गया ,
शब्द न निकले लबों से तुमाहरे पर,
आंखों का अपनापन भी न जाने कहाँ खो गया ,
ढूँढा बहुत अपने अंदर , हर तरफ़
पर न जाने वो भरोसा कहाँ खो गया ,
इंकार भी तो नै किया तूमने
बस इकरार बदहवास हो गया,
पता नही क्या रिश्ता था ,
न मालूम कहाँ क्या खो गया ,
जब कभी आएगी याद और आंख भर जायेगी,
हम समझ लेंगे की ज़िन्दगी को हमने भी थोड़ा बहुत जी लिया .
न निकले कोई दिन ये ख्याल सा हो गया ,
शब्द न निकले लबों से तुमाहरे पर,
आंखों का अपनापन भी न जाने कहाँ खो गया ,
ढूँढा बहुत अपने अंदर , हर तरफ़
पर न जाने वो भरोसा कहाँ खो गया ,
इंकार भी तो नै किया तूमने
बस इकरार बदहवास हो गया,
पता नही क्या रिश्ता था ,
न मालूम कहाँ क्या खो गया ,
जब कभी आएगी याद और आंख भर जायेगी,
हम समझ लेंगे की ज़िन्दगी को हमने भी थोड़ा बहुत जी लिया .
Thursday, April 2, 2009
प्यार की ज़रूरत
हर खवाहिश पुरी हो ये ज़रूरी तो नही
हर अरमान् सच हो ये ज़रूरी तो नही .....
हर बात में हम राज़ी हो ये ज़रूरी तो नही....
जानते थे प्यार था पर कहना ज़रूरीतो नही .....
अहसास था हर आती जाती साँस का
प्यार जाताना ज़रूरी तो नही .......
आँख से गिरा हर आंसू सहेज लिया था
पर दिखाना ज़रूरी तो नही .....
प्यार तो दिल में होता है
इसको छलकाना ज़रूरी तो नही .......
साथ सदा ही है ये दिल
रास्तो को नापना ज़रूरी तो नही ......
हर अरमान् सच हो ये ज़रूरी तो नही .....
हर बात में हम राज़ी हो ये ज़रूरी तो नही....
जानते थे प्यार था पर कहना ज़रूरीतो नही .....
अहसास था हर आती जाती साँस का
प्यार जाताना ज़रूरी तो नही .......
आँख से गिरा हर आंसू सहेज लिया था
पर दिखाना ज़रूरी तो नही .....
प्यार तो दिल में होता है
इसको छलकाना ज़रूरी तो नही .......
साथ सदा ही है ये दिल
रास्तो को नापना ज़रूरी तो नही ......
Thursday, March 26, 2009
साजिश
हर साँस के साथ एक आहट होती है ,
ज़िन्दगी को और जीने के चाहत होती है ,
मिलता नही अपने मुताबिक किसी को
फिर क्यों अपने हिसाब से चलने की कशिश होती है?
लौट जाने को दिल करता है
हर उठते कदम पे जुम्बिश कम होती है ,
चाहत के लम्हों को बखूबी संभाला है हमने
फिर भी उनसे एक शिकायत सी रहती है,
आसमान में जो होती है साजिशे
वो सब क्या ज़मीन पे मुकम्मिल होती है ,
ज़िन्दगी को और जीने के चाहत होती है ,
मिलता नही अपने मुताबिक किसी को
फिर क्यों अपने हिसाब से चलने की कशिश होती है?
लौट जाने को दिल करता है
हर उठते कदम पे जुम्बिश कम होती है ,
चाहत के लम्हों को बखूबी संभाला है हमने
फिर भी उनसे एक शिकायत सी रहती है,
आसमान में जो होती है साजिशे
वो सब क्या ज़मीन पे मुकम्मिल होती है ,
Wednesday, February 18, 2009
DARKNESS
We all are afrid of dark , aren't we? ....WHY?
there is dark all around and some times we a warmth and brightness of light.
Imagine yourself in the dark , may be for a few minutes you feel it suffocating but gradully it starts soothing your eyes and will give you immense pleasure, a new to look to life , many colourful dreams and a shine to every thought.
darkness is end less, in it our eyes always try to find its way to see . it is the darkness which gives plenty dreams with amazing colours.
.............the darkness of the closed eyes take you where you want to be, allow you and your thoughts to wander freely and boundlessly.
...........before the birth of a child it spends nine months in its mother's womb in the darkness but when it steps into the world it gives lots of pleasure to every one
... when it is profound dark in the early morning, it is the time dawn, to fill the worldy pleasure with warmth and colour .
people ,generally don'y like to watch the sunset ........but have you ever looked at it ........?
for me it is full of romance boundless natural beauty with unusual colours defining everything clearly on this large canvass.
there is dark all around and some times we a warmth and brightness of light.
Imagine yourself in the dark , may be for a few minutes you feel it suffocating but gradully it starts soothing your eyes and will give you immense pleasure, a new to look to life , many colourful dreams and a shine to every thought.
darkness is end less, in it our eyes always try to find its way to see . it is the darkness which gives plenty dreams with amazing colours.
.............the darkness of the closed eyes take you where you want to be, allow you and your thoughts to wander freely and boundlessly.
...........before the birth of a child it spends nine months in its mother's womb in the darkness but when it steps into the world it gives lots of pleasure to every one
... when it is profound dark in the early morning, it is the time dawn, to fill the worldy pleasure with warmth and colour .
people ,generally don'y like to watch the sunset ........but have you ever looked at it ........?
for me it is full of romance boundless natural beauty with unusual colours defining everything clearly on this large canvass.
Sunday, February 8, 2009
फिर वही शाम
फिर शाम के रंग बिखरने लगे है
इन आँखों में सपने सजने लगे है
हर शाम के रंगों में कुछ ऐसा नूर है
की महसूस सब पास होता है जो कुछ भी दूर है
हर शाम यादों का खजाना सा लगता है
इसमे दीखता हर साया कुछ पहचाना सा लगता है
सिन्दूरी छठा जब बिखर जाती है
यादों की दुनिया में हलचल सी मच जाती है
उन यादों की उठा पटक कुछ यूँ कर जाती है
की धीमे धीमे से मेरी दुनिया फिर रोशन कर जाती है
.......................................................शायद
इसीलिए हर शाम मुझे सुहाती है ,
जाते जाते भी मेरे दिल में शमा जला जाती है ।
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