Tuesday, July 7, 2009

अश्क

अश्क हु मै , न रोको बह जाने दो
बड़ी मुश्किल से निकला हु सफर हो जाने दो ,

दिनों तक था बेसब्र , अब तो चैन आने दो
छाया है धुंधलापन अब साफ़ हो जाने दो ,

तेरा दिल एक सरायें था आँखों के सफर के लिए
वक्त पुरा हो चुका ,एक नया मेहमान आने दे ,

कनखियों न देख अब , आँखों को खुल जाने दे
बहुत रह चुकी अंधरे में , अब रौशनी की आदत होने दे

खोल दे अकडी बाहों को , हवा में खुल जाने दे
हर एक खुशबू तेरी अपनी , इन्हे सांसों में घुल जाने दे,

रुखसत क्र इस तरह से मुझको , फिर लौट के न पाऊ
कभी याद मुझे ए तेरी , तेरी देहरी से तुझे देख निकल जाऊँ .